BA Semester-2 Psychology - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

यूनिट - III

अध्याय - 3 :
मनोविज्ञान में सांख्यिकीय : एक परिचय

(Statistics in Psychology : An Introduction)

प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।

अथवा
सांख्यिकीय के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए, वर्णनात्मक सांख्यिकीय की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. वर्णनात्मक सांख्यिकीय क्या है?
2. वर्णनात्मक सांख्यिकीय की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
3. सांख्यिकीय गणना करते समय चित्र एवं रेखाचित्र का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर -

सांख्यिकी का अर्थ

सांख्यिकीय का विज्ञान के रूप में विकास 19वीं सदी में हुआ। सांख्यिकी के अर्थों पर यदि ध्यान दिया जाए तो एक अर्थ में सांख्यिकी का आशय गणित की एक ऐसी शाखा से होता है, जो सांख्यिकीय सिद्धान्त के बारे में बताती है, दूसरे अर्थ में सांख्यिकी से आशय परिमाणात्मक तथ्यों की व्याख्या मात्र से होता है एवं अन्य अर्थों में सांख्यिकी का आशय एक ऐसे विज्ञान से होता है जिसके द्वारा संख्यात्मक तथ्यों का संकलन, विवेचन, विश्लेषण एवं व्याख्या की जाती है। समाजशास्त्र, मनोविज्ञान तथा शिक्षा में सांख्यिकी का प्रयोग प्रमुखतः इसी अर्थ में होता है। इसी अर्थ को परिमाणित करने के लिए लॉविट ने कहा है " सांख्यिकी वह विज्ञान है जो घटनाओं की व्याख्या विवरण तथा तुलना के लिए संख्यात्मक तथ्यों का संकलन, वर्गीकरण तथा सरणीकरण करता है।"

उपरोक्त परिभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सांख्यिकी वैज्ञानिक कार्यप्रणाली की एक शाखा है जिसके द्वारा प्रयोगों तथा सर्वेक्षणों के आधार पर आँकड़ों का संकलन, वर्गीकरण, विवरण तथा विवेचन किया जाता है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि सांख्यिकी का सम्बन्ध सिर्फ संख्यात्मक आँकड़ों से होता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि जिन घटनाओं या तथ्यों की व्याख्या संख्या द्वारा नहीं की जा सकती, उनकी व्याख्या भी सांख्यिकी द्वारा असम्भव है। दूसरे अर्थों में यह कहा जा सकता है कि प्रयोगों तथा सर्वेक्षणों से जो आँकड़े मिलते हैं उनसे तब तक कोई अर्थ नहीं निकलता है जब तक उनका सांख्यिकी विश्लेषण न हो सके।

वर्णनात्मक सांख्यिकी

सांख्यिकी को दो भागों में बाँटा जाता है -

1. विवरणात्मक सांख्यिकी
2. अनुमानिक या निष्कर्षात्मक सांख्यिकी

विवरणात्मक सांख्यिकी में वे सांख्यिकीय रीतियाँ आती हैं जिनका प्रयोग समंकों को उपयोगी बनाने तथा उनका विवरण देने में किया जाता है। इस प्रकार, विवरणात्मक सांख्यिकी में उन सांख्यिकीय रीतियों का अध्ययन किया जाता है जो यह इंगित करती हैं कि समंकों के समूह की विशेषताओं को कैसे बताया जाय। विवरणात्मक सांख्यिकी का सम्बन्ध समंकों के संकलन विधियन (संक्षिप्तीकरण एवं सरलीकरण) से है जो जटिल एवं विस्तृत समंकों को ऐसा रूप प्रदान करती है जिससे उपयोगी निष्कर्ष निकालने में सहायता मिले। विवरणात्मक सांख्यिकी के माध्यम से संख्यात्मक तथ्यों की मौलिक विशेषताओं को स्पष्ट किया जाता है। यह सांख्यिकी प्रायः दो प्रकार की हो सकती है एक चरीय विवरणात्मक सांख्यिकी, व द्विचरीय विवरणात्मक सांख्यिकी।

एक चरीय विवरणात्मक सांख्यिकी में एक चरीय आवृत्ति वितरण केन्द्रीय प्रवृत्ति, अपकिरण, विषमता, ककुदता, आदि का अध्ययन किया जाता है जबकि द्विचरीय विवरणात्मक सांख्यिकी में सहसम्बन्ध, प्रतीपमगन आदि का अध्ययन होता है।

सांख्यिकीय विधियों को व्यवहार में प्रयुक्त करने से सम्बन्धित विभाग व्यावहारिक सांख्यिकी कहलाता है। जॉर्ज सिम्पसन एवं फ्रिज काफ्का के अनुसार, "व्यावहारिक सांख्यिकी एक विशिष्ट विषय सामग्री में सांख्यिकीय रीतियों को प्रयोग में लाती है। व्यावहारिक सांख्यिकी के दो प्रमुख उप-विभाग विवरणात्मक व्यावहारिक सांख्यिकी एवं वैज्ञानिक व्यावहारिक सांख्यिकी हैं।

केन्द्रीय प्रवृत्तिमान (Measurement of Central Tendency) - अनुसन्धान कार्य में आँकड़ों के आवृत्ति वितरण के पश्चात् केन्द्रीय प्रवृत्तियों के मान का महत्वपूर्ण स्थान है केन्द्रीय प्रवृत्ति को ज्ञात करने से दो लाभ हैं। प्रथम, यह एक औसत (Average) है जो समूह के सभी प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके द्वारा सम्पूर्ण समूह के प्राप्तांकों को एक ही अंक द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। दूसरे, यह हमें दो या दो से अधिक समूहों की तुलना के योग्य बनाता हैं। उदाहरण के लिए, किसी समूह के मध्यवर्ती मान को ज्ञात करना किसी समूह में सम्मिलित इकाइयों के मध्य परस्पर विचलन मानों की गणना तथा चर राशियों के परस्पर सहसम्बन्ध की गणना, जो समूह की विशेषताओं का वर्णन करती है। मध्यमान, मध्यांक तथा बहुलांक आदि किसी विशेषता की केन्द्रवर्ती प्रवृत्ति को स्पष्ट करते हैं, जबकि विस्तार, मध्यमान विचलन, प्रामाणिक विचलन तथा चतुर्थांश विचलन आदि व्यादर्श में स्थित विचलन को व्यक्त करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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